अनपढ़ बेटा (Illiterate son)
अनपढ़ बेटा (Illiterate son)
एक कुएं से चार महिलाएं पानी भर रही थी तभी एक महिला बोली मेरा बेटा कई वर्षों से आश्रम में शिक्षा ले रहा था वह ज्योतिषी बन चुका है जिससे मेरा एवं उसका जीवन धन्य हो गया।
दूसरी महिला बोली मेरा बेटा डॉक्टर बन चुका है और अब वह जीवन में सफल भी हो चुका है और वह हमारा सम्मान भी करता है।
तीसरी महिला बोली मेरा बेटा विद्यालय में बच्चों को पढ़ाता है और शिक्षक बन चुका है वह महिलाएं अपने बच्चों की काबिलियत एक दूसरे को बता रही थी तभी उन महिलाओं ने चौथी महिला से पूछा कि तुम भी बताओ तुम्हारा बेटा क्या करता है।
तब उस महिला ने बताया कि मेरा बेटा अनपढ़ है एवं वह खेतों में मजदूरी करता है यह सुनने के बाद बाकी महिलाएं हंसने लगी इससे उस महिला को बहुत ज्यादा बुरा लगा।
वह सभी पानी भरकर अपने घर की तरफ जा रही थी तभी पहली महिला का ज्योतिषी बेटा आया जोकी रास्ते से अपने घर की तरफ जा रहा था अपनी मां की सहेलियों को देख कर उसने सभी को प्रणाम किया,और वहां से चला गया थोड़ा आगे जाने के बाद दूसरी महिलाओं के डॉक्टर एवं शिक्षक बेटे आए उन्होंने भी महिलाओं को प्रणाम किया एवं अपने घर की ओर चले गये।
थोड़ा आगे जाने के बाद चौथी महिला का अनपढ़ बेटा आया उसने सभी महिलाओं को प्रणाम किया और अपनी मां से कहा तुम क्यों पानी भरने चली आई मुझे ही कह देती यह कहते हुए उसने अपनी मां का पानी से भरा घड़ा अपने सर पर रख लिया,और अपनी मां को अपने साथ लेकर घर की तरफ चला गया यह देखकर बाकी महिलाएं सोचने पर मजबूर हो गई की पढ़ने लिखने से कोई महान नहीं होता बल्की उसका व्यवहार ही उसे महान बनाता है।
निष्कर्ष:-
शिक्षा से अधिक महत्वपूर्ण इंसान का व्यवहार और सम्मान होता है सिर्फ पढ़ाई से कोई महान नहीं बनता बल्की संस्कार से व्यक्ति को महानता की उपाधि दी जाति है।
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