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एक ईमानदार लड़का , An honest boy

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एक ईमानदार लड़का , An honest boy एक गांव में एक लड़का रहता था। उसके घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। उसके मन में विचार आया किसी बड़े शहर में जाकर वह नौकरी करे। वह कलकत्ता गया और नौकरी ढूंढने लगा। बहुत खोज के बाद उसे एक सेठ के घर में नौकरी मिल गयी। काम था सेठ को रोज़ 6 घंटे अख़बार और किताब पढ़कर सुनाना लड़के को नौकरी की ज़रूरत थी तो उसने वह नौकरी स्वीकार कर ली। एक दिन की बात है लड़के को दुकान के कोने में 100-100 के 8 नोट पड़े मिले। उसने चुपचाप उन्हें अख़बार और किताबो से ढक दिया। दूसरे दिन रुपयों की खोजबीन हुई। लड़का सुबह जब दुकान पर आया तो उससे पूछा गया। लड़के ने तुरंत ही प्रसनन्ता से रूपये निकालकर ग्राहक को दे दिए। वह बहुत ही खुश हुआ। लड़के के ईमानदारी से सबको बहुत प्रसन्‍नता हुई। सेठ भी लड़के से बहुत खुश हुआ। सेठ ने लड़के को पुरस्कार देना चाहा तो लड़के ने लेने से मना कर दिया। लड़के ने कहा सेठ जी में आगे पढ़ना चाहता हूँ। पर पैसों के आभाव से पढ़ नहीं पा रहा। आप कुछ सहायता कर दें। सेठ ने लड़के की पढ़ाई का प्रबंध कर दिया। लड़का बहुत मेहनत से पढ़ता गया। यही लड़का आगे चलकर बहुत बड़ा साहित्यकार बना।  इसका नाम थ...

सफलता का रहस्य - सुकरात

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एक बार एक व्यक्ति ने महान Philosopher सुकरात से पूछा कि - “सफलता का रहस्य क्या है?” –  What is the secret of success?  सुकरात ने उस इंसान को कहा कि वह कल सुबह नदी के पास मिले, वही पर उसे अपने प्रश्न का जवाब मिलेगा। जब दूसरे दिन सुबह वह व्यक्ति नदी के पास मिला तो सुकरात ने उसको नदी में उतरकर, नदी की  गहराई मापने के लिए कहा।    वह व्यक्ति नदी में उतरकर आगे की तरफ जाने लगा। जैसे ही पानी उस व्यक्ति के नाक तक पहुंचा, पीछे से सुकरात ने आकर अचानक से उसका मुंह पानी में डुबो दिया। वह व्यक्ति बाहर निकलने के लिए झटपटाने लगा, कोशिश करने लगा लेकिन सुकरात थोड़े ज्यादा Strong थे। सुकरात ने उसे काफी देर तक पानी में डुबोए रखा। कुछ समय बाद सुकरात ने उसे छोड़ दिया और उस व्यक्ति ने जल्दी से अपना मुंह पानी से बाहर निकालकर जल्दी जल्दी साँस ली। सुकरात ने उस व्यक्ति से पूछा – “जब तुम पानी में थे तो तुम क्या चाहते थे?”  व्यक्ति ने कहा – “जल्दी से बाहर निकलकर सांस लेना चाहता था।”   सुकरात ने कहा – “यही तुम्हारे प्रश्न का उत्‍तर है। जब तुम सफलता को उतनी ही  तीव्र इच्छा से चाह...

जहा चाह वही राह.......

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जहा चाह वही राह....... एक बार की बात है, एक गरीब औरत थी जिसका नाम मनीषा था। वह एक छोटे से गाँव में अपने माता-पिता और छोटे भाई-बहनों के साथ रहती थी। उसके पिता एक किसान थे, लेकिन खेत बहुत उपजाऊ नहीं था, और वे अक्सर किसी तरह से गुजारा करते थे। मनीषा एक बुद्धिमान और जिज्ञासु लड़की थी। वह अपने आसपास की दुनिया के बारे में जानना पसंद करती थी। वह एक वैज्ञानिक बनने का सपना देखती थी, लेकिन वह जानती थी कि अपने परिवार की वित्तीय स्थिति के कारण उसे अपना लक्ष्य हासिल करना मुश्किल होगा । एक दिन, मनीषा के पिता बीमार पड़ गए। वह काम करने में असमर्थ थे, और परिवार की आय और भी कम हो गई। मनीषा को अपने परिवार की मदद करने के लिए स्कूल छोड़ना पड़ा। मनीषा ने अपने परिवार का समर्थन करने के लिए कड़ी मेहनत की। उसने घरों की सफाई और खेतों में काम करने जैसे अजीब-अजीब काम किए। उसने स्थानीय बाजार में सब्जियां बेचना भी शुरू किया। अपनी व्यस्त दिनचर्या के बावजूद, मनीषा ने वैज्ञानिक बनने के अपने सपने को कभी नहीं छोड़ा। वह देर रात तक पढ़ाई करती थी और स्थानीय पुस्तकालय से किताबें उधार लेती थी। उसने घर पर भी अपने स्वयं के प्रय...

एक किसान और उसके पोते की कहानी !! Motivational Stories

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एक किसान और उसके पोते की कहानी – एक बार की बात है एक लड़का स्कूल की छूटियों में अपने दादा से मिलने गाँव गया वो अपने दादा जी के साथ गाँव घूमता और खेतों में काम करने के लिए भी जाता एक दिन वो लड़का अपने दादा के साथ खेत में काम करने के लिए गया हुआ था तो दादा ने उससे शरत लगाई की चलो देखते है की खेत की जमीन को फसल की बुवाई के लिए कौन पहेले तैयार करता है उन दोनों ने खेत की आदी – आदी जमीन बाँट ली और जमीन को नई फसलों की बुवाई के लिए तैयार करने लगे वो दोनों मिटी को खोद कर उसे पलट उसकी गाँठो को तोड़ रहे थे ताकि वो फसल की बुवाई के लिए तैयार हो जाए दादा जी जिनकी उम्र 65 साल की थी वो बिना रुके और बिना किसी शिकायत के अपना काम कर रहे थे लेकिन वो लड़का जिसकी उम्र 17 साल थी वो अपने काम में बहुत शिकायत कर रहा था वो बार बार रुक कर आराम कर रहा था और कह रहा था की कितना मुश्किल काम है लेकिन उसके दादा जी बिना रुके और बिना थके काम कर रहे थे फिर जब शाम हुई तो लड़का देखता है की दादा जी ने अपने हीसे की सारी जमीन की बुवाई कर ली है और उनके हीसे की जमीन अब फसलों की खेती के लिए तैयार है लेकिन उसके हीसे की जमीन में अभी आधी...

एक अध्यापक का अपने विद्यार्थियों पर विश्वास (Comedy Story)

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एक अध्यापक का अपने विद्यार्थियों पर विश्वास (Comedy Story):- एक बार अमेरिकी प्लेन बनाने वाली कंपनी बोइंग ने अमेरिकी एरोनॉटिकल साइंस के प्रोफेसर्स को फ्री हवाई यात्रा का न्योता दिया। सारे अध्यापक पहुंच गए और प्लेन में जाकर बैठ गए। जब प्लेन का दरवाजा बंद हो गया तब पायलट ने अनाउंस किया की सभी सज्जनों की सूचित किया जाता है की यह प्लेन आपके द्वारा पढ़ाए गए छात्रों द्वारा बनाया गया है। जो पिछली साल ही पास हुए थे। और आज इस प्लेन की पहली टेस्टिंग उड़ान है। क्या आपको गर्व महसूस हो रहा है ? ये सुन के अध्यापकों के पसीने छूट गए। सब आनन फानन में सीट बेल्ट खोल के उतरने को भागे। उतरने के लिए प्लेन में भगदड़ मच गई। लोग चीखने पुकारने लगे की नीचे उतारो। लेकिन एक प्रोफेसर आराम से बैठा था। उतरने की लाइन में लगे एक प्रोफेसर ने उसे शांत बैठे देख के पूछा कि आप बड़े शांत लग रहे। अपको नही लगता की टेस्टिंग फ्लाइट में बैठना... वो भी हाल में पास हुए स्टूडेंट की बनी हुई.. कुछ ज्यादा ही खतरनाक है.. इस पर अध्यापक ने बड़ा प्यारा मेसेज दिया की, "हो सकता है की ये जहाज उतना मजबूत न हो लेकिन ..मुझे अपने ...

आइंस्टीन........ motivational stories

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आइंस्टीन के जो ड्राइवर थे, उन्होंने एक दिन आइंस्टीन से कहा- " सर,आप हर सभा में जो भाषण देते हैं, वह मैंने याद कर लिया है।''  -आइंस्टीन हैरान रह गये!        फिर उन्होंने कहा, "ठीक है, मैं अगली बैठक में जहां जा रहा हूं, वे मुझे नहीं जानते, आप मेरे स्थान पर भाषण दीजिए और मैं ड्राइवर बनूंगा।"  - ऐसे ही हुआ अगले दिन बैठक में ड्राइवर मंच पर चढ़ गई और ड्राइवर ने हूबहू आइंस्टीन की भाषण देने लगा....     दर्शकों ने जमकर तालियां बजाईं.  फिर वे यह सोचकर गाड़ी के पास आए कि ड्राइवर आइंस्टीन है।  - तभी एक प्रोफेसर ने ड्राइवर से पूछा, ''सर, रिश्तेदार ने क्या कहा, क्या आप एक बार फिर संक्षेप में बताएंगे?''  - असली आइंस्टीन ने देखा बड़ा खतरा !!     इस बार ड्राइवर पकड़ा जाएगा। लेकिन ड्राइवर का जवाब सुनकर वह हैरान रह गये....      ड्राइवर ने उत्तर दिया.  -"क्या यह साधारण बात आपके दिमाग में नहीं आई?   मेरे ड्राइवर से पूछिए वह आपको समझाएंगे "  नोट :  "यदि आप बुद्धिमान लोगों के साथ चलते हैं, तो आ...

यज्ञ कितना भी बड़ा या छोटा क्यों न किया जाए !! Motivational Stories

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यमुनाई नदी (आज का मथुरा) के किनारे एक इलाके में एक छोटा सा  बच्चा  रहता था।  क्योंकि  उसके पास खेलने के लिए कोई दोस्त नहीं था, इसलिए उसने एक छोटे से पत्थर की पूजा की और  उस ही पत्थर को अपना दोस्त बना लिया । मिट्टी को चन्दन समझकर  टीका लगा दिया और उस मूर्ति को सुंदर मूर्ति समझकर निहारता रहता था । वह चरागाह क्षेत्र में पाए गए कुछ फूलों से पूजा करने का आनंद लेता था।  क्योंकि भगवान को चढ़ाने के लिए उसके पास कुछ भी नहीं था  इसलिए वह शिवलिंगम के लिए कई प्रकार की मिट्टी को फल के रूप में धारण करके और उन्हें फल के रूप में मानकर प्रसन्न था। उस बच्चे के  द्वारा  की गई पूजा  प्रेमपूर्ण और आत्मीय   थी | शिव भगवान ने कुबेरन, जिन्होंने एक मध्यम वर्ग के लड़के की इस पूजा को खुशी-खुशी स्वीकार कर लिया, कुबेरन के चरित्र से इसकी राशि लेकर  कलाकार  को दे दी और जिस पत्थर की उन्होंने पूजा की, उसे एक मणि लिंग में बदल दिया। उनका घर समस्त ऐश्वर्य से  भर गया  था और रत्नमय दिखता था। वह लड़का चकित रह गया जब उसने देखा कि जिस शिव लिंग...